ललित कला नृत्य और महायोगी
वन बहुत छोटा है उसमें भी बचपन वो समय होता है जिसके बीत जाने का एहसास ही नहीं हो पाता, किन्तु महापुरुष बाल्यकाल का शायद सबसे ज्यादा उपयोग ज्ञान अर्जन के लिए करत…
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सोऽहम् साधना
ऐसा जाप जपो मन लाई , सोहं सोहं अजपा गाई ! टेक !! आसण दिढ़ करि धरो धियान , अहनिस सुमिरों ब्रह्म गियान ! जाग्रत न्यन्द्रा सुलप आहारम , काम क्रोध अहंकार निवारम !…
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